समझे थे जिसे कोयल वो कौआ निकला…

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सांझा विरासत कार्यक्रम में साहित्यिक गतिविधियों को लेकर बुद्धिजीवियों ने जताई खुशी
करनाल। विकास क्लब साहित्य कला मंच की ओर से रविवार को कुंजपुरा गांव के रामलीला भवन में आयोजित मासिक सांझा विरासत कार्यक्रम में रचनाकारों ने श्रोताओं को बांध दिया। मुख्य अतिथि विख्यात साहित्यकार रमेश चंद्र पुहाल पानीपती ने खुशी जाहिर की कि एतिहासिक गांव कुंजपुरा में साहित्यिक गतिविधियां लंबे समय से जारी हैं। रचना पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जले हैं लेकिन हम कोई दीया भी नहीं, जहर सी है जिंदगी जहर पीया भी नहीं, मौत भी अपने गले उसे लगाती है, जिसके पास जीने का कोई जरिया भी नहीं…। दूसरी रचना में उन्होंने कहा कि समझे थे जिसे कोयल वो कौआ निकला, दोस्ती के नाम पे वो सबसे बड़ा हौवा निकला…। कमलेश कुमार पालीवाल कमल ने कहा कि मुश्किलों का जवाब रखता हूं, मैं लहू से चनाब रखता हूं, दोस्ती में हर एक शै कुरबां, दुश्मनी में हिसाब रखता हूं…। सोनीपत से आए डॉ. कमर रईस ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि  सच को जलवानुमा तो होने दो, झूठ होगा खफा तो होने दो…। मंच संचालन कर रहे रामेश्वर देव ने कहा कि मुझे मालूम है गरीबी में जीवन बिताना है, मगर खुद्दारियों के साथ ये गुलशन सजाना है…।
क्लब के संरक्षक संत प्रेमपाल सागर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर विचार रखे और उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। शिक्षक नरेंद्र सिंह संधू ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से युवा पीढ़ी का बौद्धिक विकास होता है। दिलबाग कांबोज ने रचनाओं के माध्यम से हास्य रस घोला। सलिंद्र मचल, कविता मचल, पूर्णचंद शर्मा व पंकज गहलोत ने गीतों के माध्यम से सुरीली आवाज का जादू बिखेरा। प्रवीण कुमार ने हरियाणवी रागिनी पेश की। सचिन पाल दीवाना ने सुना है तेरे आंगन में सारी रात आसमां बरसता रहा… रचना पेश की। विकास कुमार, गुरमीत पाल व सन्नी ने भी रचनाओं के माध्यम से खूब वाहवाली लूटी। छात्रा सेजल ने प्राण-प्राण लड़ूंगी वतन के लिए… राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीत गाया। सावन पंवार ने कहा मतलब निकालने में उस्ताद होते हैं लोग, हर किसी के काम टका सा जवाब होते हैं लोग…। इस मौके पर रचनाकार ममता प्रवीण महमदपुर, सरपंच प्रतिनिधि महिंद्र सिंह फौजी, राजपाल रोजड़ा, अंशुल राणा, रविंद्र कुमार व अन्य अतिथि उपस्थित रहे।