
बाबैन(रवि कुमार): भारत पब्लिक सीनियर सैंक्डरी स्कूल बाबैन की प्रधानाचार्य सुनीता खन्ना ने अभिभावकों से अपील है कि अपने बच्चों को मोबाइल की लत ,मोबाइल नाम की भयंकर बीमारी और मोबाइल के कारण समय की बबार्दी से बचाएं और उनका भविष्य उज्जवल बनाएं । जी हां, आज के समय में मोबाइल फोन एक अत्यावश्यक डिजिटल यंत्र है, जिसका बड़े व्यापक स्तर पर हर आयु वर्ग के लोगों द्वारा प्रयोग किया जा रहा है। क्या बड़ा, क्या छोटा सभी का जीवन मोबाइल फोन के बिना मानो रुक-सा जाता है। लेकिन बड़ी चिंता का विषय है कि इतना महत्वपूर्ण होने पर इसके अत्यधिक प्रयोग के कारण बहुत से दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। ने तो मोबाइल फोन को लत की संज्ञा दे डाली। इसके अत्यधिक प्रयोग से खासकर विद्यार्थियों का दिन प्रतिदिन स्वास्थ्य की दृष्टि से और नैतिक दृष्टि से पतन होता जा रहा है, बच्चे बाहर ना खेल कर बंद कमरे में ही फोन पर लगे रहते हैं। लगातार स्क्रीन पर व्यस्त रहने के कारण आंखों की दृष्टि संबंधित गंभीर दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। आज छोटे-छोटे बच्चों की आंखों पर चश्मे दिखाई देते हैं परंतु बड़े खेद का विषय है कि इसका कारण पढ़ाई नहीं है बल्कि लगातार फोन पर लगे रहने की वजह से बच्चों की दृष्टि कमजोर होती जा रही है। फोन की आदत का एक अन्य दुष्प्रभाव है बच्चे अवसाद का शिकार होते जा रहे हैं और चिड़चिड़े होते जा रहे हैं, बात-बात पर झुंझलाना उनकी आदत हो गई है। असामाजिकता का शिकार लोग किसी की भावनाओं की कोई परवाह नहीं करते और भावशून्य होते जा रहे हैं। परंतु इन सब के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है, इन सब के लिए जिम्मेदार है आजकल के व्यस्त माता-पिता अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिताते, इसके लिए जिम्मेदार है आधुनिक शिक्षा प्रणाली और आजकल की डिजिटल आर्थिक व्यवस्था है जिसने मोबाइल फोन के प्रयोग को व्यापक कर उन लोगों की मानसिकता को संकुचित कर दिया। यदि हमें अपने आपको, अपने बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखना है, यदि उन्हें नैतिक रूप से ऊंचा उठाना है तो हमें अवश्य ही मोबाइल से दूरी बनानी होगी ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके मोबाइल फोन के प्रयोग को नियंत्रित करना होगा।
