
अमेरिका सहित यूरोपियन देशों में किया जाता है निर्यात
लाडवा, 23 मई (नरेश गर्ग): हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी ऐशिया की प्रसिद्व लाडवा अनाजमंडी में सलैहरी औषधीय की आवक शुरु हो गई है। हरियाणा पंजाब व राजस्थान की सीमा के साथ जुड़े किसानों द्वारा सलैहरी औषधीय की फसल तैयार की जाती है। उन किसानों के अनुसार फसल प्रति एकड़ में 7 से 8 किवंटल तक पैदावार होती हैं। इस वर्ष इस फसल के दाम 8000 से 9000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक्री हुई है। किसानों की माने तो इस बार इसकी फसल काफी बम्पर हुई है और अनाजमंडी में भारी मात्रा में आ रही है। लाडवा अनाजमंडी के व्यापारी पवन बंसल ने बताया कि पिछले बार 12000 बोरी आई थी। वहीं इस बार अब तक 15000 बोरी आ चुकी है और लगभग 20000 बोरी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पहले किसान इसको अपने खेत में रख लेता था, जिसके कारण इसका सीजन 10 से 15 जून तक चलता था। परंतु इस बार किसान को पैसे की जरुरत है। जिसके कारण किसान अपने खेत में न रोककर सलैहरी की फसल को मंडी में लेकर आ रहा है और इस बार 31 मई तक सीजन समाप्त होने की उम्मीद जताई जा रही है। उन्होंने बताया कि इसके खरीदने का काम भी मंडी में कुछ ही खरीददार कर रहे हैं। इस औषधीय फसल का अमेरिका सहित यूरोपियन देशों में निर्यात किया जाता है। जहां इसका प्रयोग दवाईयां बनाने के साथ-साथ खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक रखने के लिए बचाव के रुप में किया जाता है। देश में हरियाणा की लाडवा व पंजाब की अमृतसर अनाजमंडी में ही इस फसल की बिक्री होती है। इसलिए लाडवा की अनाजमंडी भी ऐशिया की प्रमुख अनाजमंडी है। लाडवा अनाजमंडी में सलैहरी की आवक इन दिनों योवन पर है। इसकी महक लाडवा के हर व्यक्ति को अपनी ओर आक र्षित कर रही है।
