कुंड कलां रेत खनन परियोजना को लेकर नगराधीश अमन कुमार की अध्यक्षता में लोक सुनवाई का हुआ आयोजन

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कुंड कलां रेत खनन परियोजना को लेकर नगराधीश अमन कुमार की अध्यक्षता में लोक सुनवाई का हुआ आयोजन, ग्रामीणों ने खुले मन से दिए सुझाव।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र अरोड़ा ने कुंड कलां रेत खनन परियोजना के बारे में दी विस्तार से जानकारी।
करनाल || पर्यावरण एवं वन मंत्रालय नई दिल्ली अधिसूचना के अनुसार प्रस्तावित कुंड कलां रेत खनन परियोजना ग्राम कुंडा कलां जिला करनाल राज्य हरियाणा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में नगराधीश अमन कुमार की अध्यक्षता में लोक सुनवाई की गई। इस मौके पर ग्रामीणों ने रेत खनन परियोजना को लेकर अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
इस मौके पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र अरोड़ा ने कुंडा कलां रेत खनन परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना के पट्टेधारक मैसर्ज आरएम इंडस्ट्रीज (मोहित छिकारा) है। यह खनन पट्टा नदी तल (रेत खनन से ) से संबंधित है। परियोजना के तहत 42.70 हैक्टेयर के क्षेत्रफल में रेत खनन हेतु पर्यावरण स्वीकृति के लिए आवेदन का प्रस्ताव रखा गया है। परियोजना की अनुमानित लागत 23.925 करोड़ रुपये है। परियोजना अवधि के दौरान कुल औसतन उत्पादन 18 लाख टन प्रतिवर्ष होने का प्रस्ताव है।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य नदी के किनारों को चौड़ा होने से रोकना तथा आसपास के क्षेत्र को बाढ़ और नुकसान से बचाना है। समाज के सबसे गरीब वर्ग के लिए आजीविका के अवसर उपलब्ध करवाना, इस परियोजना से निर्माण सामग्री जैसे रेत पूर्ति में सुधार होगा, जिससे राज्य में बुनियादी जरूरतें, परियोजनाओं जैसे सड़कों, इमारतों, पुलों आदि के निर्माण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। नदी के बहाव से लघु खनिजों (रेत) इत्यादि के खनन एवं संग्रह द्वारा नदी के मौजूदा मार्ग को बनाए रखना है।
उन्होंने खनन प्रतिबद्धता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रेलवे लाईन, जलाशय अथवा सड़क से 50 मीटर की दूरी तक कोई खनन का कार्य नहीं किया जाएगा। नदी के सूखे क्षेत्र पर खनन किया जाएगा, सक्रिय जलधारा को प्रभावित नहीं किया जाएगा। भूमिगत जल स्तर से नीचे खनन की अनुमति नहीं होगी, वन क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं होगी, ठेकेदारों को खनन के समय खान अधिनियिम 1952 और खान एवं खनिज अधिनियम 1957, वन संरक्षण अधिनियम 1980 का पालन करना होगा। ठेकेदारों को खान अधिनियिम 1952 के प्रावधानों, अंतर्राज्जीय प्रवासी कार्यबल अधिनियम का पालन करना होगा। ठेकेदार सक्षम अधिकारी की संतुष्टि के साथ केन्द्र एवं राज्य सरकार के श्रमिक कानूनों के अनुसार पेजयल, आश्रय, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, कल्याण सुविधाएं इत्यादि उपलब्ध करवाएंगे।
उन्होंने पर्यावरण प्रबंधन योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि धूल को उडऩे से बचाने के उपाय किए जाएंगे जैसे सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा, ध्यान रखा जाएगा कि तिरपाल से ढककर रेत का परिवहन हो ताकि रेत को उडऩे या गिरने से रोका जा सके, वाहनों की ओवरलोडिंग नहीं की जाएगी, पट्टे की अवधि के दौरान खनन कार्य शीर्ष सतह से 3 मीटर की गहराई तक किया जाएगा। ग्राम क्षेत्र में ध्वनि यंत्र का न्यूनतम उपयोग किया जाएगा, पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण के लिए वृक्षारोपण किया जाएगा। पुराने और खराब हो चुके टै्रक्टरों का उपयोग नहीं किया जाएगा।
क्षेत्रीय अधिकारी ने पर्यावरण नियंत्रण योजना के बारे में बताया कि आसपास के तालाबों, कुओं और बोरवैल में पानी के स्तर का मापन किया जाएगा, नदी के किनारे का अपर्दन रोकने के लिए नियमित जांच की जाएगा, किसी भी असामान्य स्थिति में उचित कार्यवाही की जाएगी। खनन क्षेत्र स्थिर और गतिशील स्रोतों और आसपास के गांवों में शोर के स्तर की जांच साल की हर तिमाही में की जाएगी। खनन का प्रबंधन आसपास के स्थानीय लोगों के संपर्क में नियमित रूप  से रहेगा ताकि उन द्वारा बनाई गई विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का नवीनीकरण किया जा सके तथा किसी भी प्रकार की तत्काल आवश्यकता पर विचार किया जा सके और जिस पर निकट भविष्य में कार्यवाही भी की जा सके।