
बाबैन (रवि कुमार): प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय वरदानी भवन बाबैन मे मातेश्वरी जगदम्बा जी का 58वां स्मृति दिवस (आघ्यात्मिक ज्ञान दिवस)मनाया गया इस मौके पर मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की तस्वीर के समक्ष सभी भाई-बहन ने दीप प्रज्वलित व पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर विशेषतौर से लाड़वा से पधारे बीके सुनील कुमार ने कहा कि मम्मा सर्व गुणों की खान और मानवीय मूल्यों की विशेषताओं से सम्पन्न थीं। मम्मा बहुत कम बोलती थीं और दूसरों को भी कम बोलने का इशारा करती थी। अधिक बोलने से हमारी शक्ति नष्ट हो जाती है, ऐसा मम्मा का कहना था। इस प्रकार अपने ज्ञान, योग, पवित्रता के बल से विश्व की सेवा करते हुए मम्मा-सरस्वती ने 1965 में इसी दिन अंतिम सांस ली। उनकी जीवनगाथा पर प्रकाश डालते हुए बीके सुनील कुमार ने कहा कि जब-जब संसार में दिव्यता की कमी, धर्म की ग्लानि, समाज में अन्याय, अत्याचार, चरित्र में गिरावट व विश्व में अशांति के बीज पनपने लगते हैं, तब-तब इन समस्त बुराइयों को समाप्त करने के लिए किसी महान विभूति का जन्म होता है। इन्हीं में से एक महान विभूति थी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा) इसका बचपन का नाम राधे था। इस कार्यक्रम में शामिल बी के सुरमख, जोनी चहल, राज किशन सैनी बिन्ट,किरण, प्रवीण, रितु, कमलेश,आदि समस्त बी.के भाई बहनो ने मम्मा को पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया।
