
इन्द्री
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ब्याना में महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी प्राध्यापक सुभाष चन्द ने की और संचालन हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने किया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले एक विचारक, दार्शनिक, समाज सुधारक व दार्शनिक थे जिनके कार्य व विचार सबके लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि अपने अध्ययन और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के विश्लेषण से उन्हें सुधार की दृष्टि प्राप्त हुई। उन्होंने समता, न्याय व मानवीय गरिमा पर आधारित समाज की स्थापना करने के लिए शिक्षा को औजार बनाया। उन्होंने लड़कियों व समाज के कमजोर तबकों को शिक्षा प्रदान करने के लिए अथक प्रयास किए। अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला। इसके बाद उन्होंने एक के बाद अनेक स्कूल खोले। सत्यशोधक समाज की स्थापना करके उन्होंने समाज सुधार के अनेक कार्य किए। उन्होंने कहा कि महिलाओं का जीवन उस समय अनेक प्रकार के भेदभाव और अन्याय से घिरा हुआ था। उन्होंने विधवाओं के केश मुंडन के खिलाफ आंदोलन का आगाज किया और विधवाओं के गरिमापुर्ण जीवन की पक्षधरता की। उन्होंने कहा कि महात्मा फुले के योगदान का संकेत इस बात से भी मिलता है कि संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर भी महात्मा फुले को अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने कहा कि हमें दोनों शख्सियतों के जीवनकथा और वैचारिक संघर्षों पर आधारित किताबें पढऩी चाहिए। इस मौके पर प्राध्यापक संजीव कुमार, बलविन्द्र सिंह, सतीश कांबोज, सतीश राणा, अनिल पाल, राजेश सैनी, राजेश कुमार, संदीप कुमार, विवेक कुमार, नरेन्द्र कुमार, सन्नी चहल, गोपाल दास, महाबीर सिंह, सीमा गोयल, चन्द्रवती, विनीत सैनी व अशीष कांबोज उपस्थित रहे।
संजय गाधी ओमप्रकाश गर्ग मैमोरियल पब्लिक स्कूल में मनाई महात्मा ज्योतिबा फुले की जंयती
