सरकारी संरक्षण प्रात्साहन के अभाव में दम तोड़ रहा है किक  बाक्सिंग

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ओलिम्पिक खेलों में शामिल होने के बाद भी सरकार ने नहीं बनाई नीति
25 सालों के संघर्ष के बाद भी नहीं बदली तकदीर खिलाडिय़ों की
तीसरी वल्र्ड रैंकिंग लेने के बाद भी नहीं प्रोत्साहन दिया मधु को सरकार ने

बी ई आई न्यूज़ नेटवर्क

करनाल: प्रदेश में राज बदला रिवायत बदली खिलाडिय़ों की दिशा और दशा बदली लेकिन किक बाक्सिंग के खिलाडिंय़ों की तकदीर नहीं बदली हैं। लगभग 25 सालों से हरियाणा में किक बाक्सिंग का खेल खेला जा रहा हैं। इस दौरान दस हजार से अधिक खिलाड़ी तैयार हुए। लेकिन सरकार की तरफ से इस खेल को प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा है। इस खेल को खेलने वाले खिलाडिय़ों को सरकार की तरफ से ना तो कोई नकद पुरज्ञकार दिया जाता है और ना ही खिलाड्यिों को इंटरनैशनल पद मिलने पर सरकार ना तो प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस खेल को हालांकि ओलम्पिक खेलों में शामिल कर लिया है। उसके बाद इस खेल को खेलने वालों की तकदीर नहीं  नहीं बदली हैं। सरकारी प्रोत्साहन के अभाव में कई प्रतिभशाली खिलाड़ी दम तोड़ गए। जब हरियाणा सरकार इस खेल को प्रोत्साहन नहीं दउे रही है तो फिर कैसे पदक मिलेगा। हरियाणा में सैकड़ों खिलाड़ी इस खेल को खेलते हैं। आर्थिक संसाधनों के अभाव में खिलाड़ी अपने संसाधनों से इंटरनैशनल स्तर तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन वह लंबा नहीं चल पाते हैं। इस खेल के इंटरनैशनल कौच जसवंत सिंह ने बताया कि वह इस खेल को 1990 के दशक से खेल रहे है। उन्होंने इंटरनैशनल स्तर तक पदक लिए लेकिन धन के अभाव में उनका खिलाड़ीदम तोड़ गया। उसके बाद उन्होंने कौच के रूप में करियर शुरू किया। आज वह दस हजार से अधिक खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। उनके खिलाडिय़ों ने इंटरनैशनल स्तर पर विश्व में रैंकंग प्राप्त की। लजेकिन सारकार के प्रोत्साहन और संरक्षण के अभाव में खिलाडिय़ों ने दम तोड़ दिया। विश्व में किक  बाक्सिंग में तीसरी रैंक प्राप्त करने वाली मधु का दर्द भी कुछ इसी तरह काजब हरियाणा के किसी कालेज ने उसे संरक्षण नहीं दिया तो उसने मोहाली में चित्कारा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उसे वहां से संरक्षण मिला। हरियाणा से निराशा हाथ लगी। मधु ने बताया कि सरकार कहती ळै  िकबेटी बचाओ बेटी खिलाओ बेटी खिलाओ का नारा बुलंद करती हैं। लेकिन ना तो सरकार बेटियों को खेलने के लिए प्र्रोत्साहन दे रही हैं। और ना ही निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान इस कार्य में आगे आ रहे है। उसने बताया कि वह तीन साल से इस खेल को खेल रही हैं। उसने स्टेट न्ैशनल में बेहतर प्रदेर्शन् किया। विश्व स्तरीय प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया। मधु ने मुख्यमंत्री से अपील की कि यदि सरकार किक बाकिंग को प्रोत्साहन नहीं देगी तो कैसे खिलाड़ी एशियाड, कामन वैल्थ ओलिम्पिक खेलों में पदक ला पाएंगे। सरकारी प्रोत्साहन और संरक्षण के इंतजार में कई इंटरनैशनल खिलाड़ी खेल छोड़ चुके हैं। सरकार इस खेल को प्रात्साहन नहीं दे रही हैं। कौच जसंवत सिंह ने बतया कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिल चुके हैं। लेकिन उनकी नजरें इस खेल के प्रति इनायत नहीं हुई हैं। वह सासंद विधायकों, के आगे गुहार लगा चुके हैं। लेकिन निराशा हाथ लगी है ।