गांव खैरी में बीपीएल परिवारों के लोगों की छतों के ऊपर से जा रही 11 हजार वोल्टेज की तारें बनी मुसीबत

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ग्रामीण बोले: 11 हजार वोल्टेज की तारें तो जा रही, परंतु 14 साल से बिजली नहीं आई
बाबैन(रवि कुमार): बाबैन के गांव खैरी में सोमवार को बीपीएल परिवारों के कई लोगों ने स्टालवार्ट फांउडेशन के चेयरमैन एवं समाजसेवी संदीप गर्ग के आगे गुहार लगाई कि वह उनकी कॉलोनी का जीवन उद्धार करें।
गांव खैरी वासी रणबीर सिंह, राजपाल, महिंदर सिंह, छत्रपाल, लाल सिंह, सोमनाथ, जसमेर सिंह, संजीव कुमार, जसविन्द्र सिंह, रामकुमार, रिंकु,जॉनी, मलकीत, जरनैल, रामेश्वर, बलविन्द्र अंकित कुमार, बलजीत, राहुल कुमार आदि ने कहा कि लगभग 14 वर्ष पहले महात्मा गांधी ग्रामीण योजना के तहत गांव में कई बीपीएल परिवारों को 100-100 गज के प्लांट सरकार की ओर से दिये गए थे। परंतु उसके बाद सरकार की ओर से अभी तक यहां के लोगों को कोई भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई। उन्होंने कहा कि इस कॉलोनी में न तो सडक़ें हैं, न बिजली है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष से सीएम विंडो पर भी इस बात की कई बार शिकायत कर दी गई है। परंतु उसके बावजूद भी कोई हल नहीं निकला है। मौके पर पहुंचे समाजसेवी संदीप गर्ग कॉलोनी के लोगों ने पूरी कॉलोनी दिखाई कि किस प्रकार से नर्कीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं समाजसेवी संदीप गर्ग ने कहा कि मौजूदा सरकार के अनुसार तो हम आज बीसवीं सदी में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस कॉलोनी में रहने वाले लगभग 15-20 परिवार पिछले लगभग 14 वर्षों से बिना बिजली के ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनकी छतों के ऊपर से 11 हजार वोल्टेज की तारें तो जा रही है। परंतु उनमें बिजली नहीं है। बल्कि बिजली विभाग ने उल्टा इन कॉलोनी के लोगों को ही लगभग एक लाख 76 हजार रूपए का एस्टीमेट बनाकर दे दिया गया है कि वह पहले इसको जमा करवाएं उसके बाद बिजली सप्लाई शुरू की जाएगी। यदि इन लोगों के पास इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था होती तो इन्हें बीपीएल परिवार की सूची में आने की क्या जरूरत थी। सरकार को चाहिए कि इन कॉलोनी के लोगों की ओर देखना चाहिए और जो भी मूलभूत सुविधाओं से यह लोग वंचित पिछले कई वर्षों से रह रहे हैं उसको पूरा करना चाहिए। वहीं उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एक मई से लेकर तीन मई तक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कुरुक्षेत्र जिले में रहे और परंतु उन्होंने लाडवा हल्के के किसी भी गांव में कोई जन संवाद नहीं किया। यह लाडवा हल्के की सरकार की ओर से अनदेखी है। इसका जवाब आने वाली 2024 के विधानसभा चुनाव में जनता अच्छे से देगी। मौके पर भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।