
मोहर्रम का चांद देखते ही शिया समुदाय के लोग करेगें मजलिसों का आयोजन
इन्द्री विजय काम्बोज
अंजुमन यादगारे हुसैनी के संयोजक रजा अब्बास ने बताया कि मोहर्रम का चांद देखते ही शिया समुदाय के लोग करेगें। उन्होंने बताया कि इराक की राजधानी बगदाद के कर्बला से जहां के लोगों ने पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन व कई मासूमों को मौत के घाट उतार दिया था ओर यजीद बिन मुआविया के लोगों द्वारा मासूमों का खून बहाया गया था तब से जैसे ही मोहर्रम का चांद नजर आता है लोगों के बीच शहादत को याद करते हुए गमगीन माहौल हो जाता है। रजा अब्आस ने बताया कि शिया समुदाय की महिलाएं तो चांद देखते ही हाथ की चूडीयां तोड़ देती हैं और सभी औरत मर्द काले कपड़े पहनने की कोशिश करते हैं। बताया जाता है कि कर्बला युद्ध के दौरान इमाम हुसैन ने यजीद की सेना का डटकर मुकाबला किया था और फिर लड़ते-लड़ते शहीद हो गए थे। यह दिन इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की शहादत को याद किया जाता है। यह सिलसिला 2 महीने 8 दिनों तक चलता है। इन 2 महीने 8 दिन में शिया समुदाय कोई भी खुशी का काम नहीं करते है। यह गम के दिन हैं ओर इनमें गम ही मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने पूरी दुनिया को मोहब्बत, अमन और दहशत गर्दी के खिलाफ लडऩे का पैगाम दिया था। जालिम बादशाह यजीद जुल्म, ज्यादती, और दहशतगर्दी फैला रहा था। इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में लडऩे नहीं बल्कि भाईचारे और भलाई का संदेश देने के लिए गए थे। यदि इमाम हुसैन लडऩे के लिए जाते तो वहां पर बहादुरों को लेकर जाते लेकिन वह अपने 6 महीने के बच्चे और महिलाओं को लेकर गए थे।
