
इन्द्री विजय काम्बोज
उपमंडल के गांव सैयद छपरा में शिया समुदाय के लोगों द्वारा लगातार मजलिसों का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मौलाना इब्ने अब्बास बुकनालवी ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहादत दी थी। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि यजीद उस समय का सबसे बड़ा धर्म विरोधी व आंतकवादी था जोकि धर्म को कट्टरवादिता में बदलना चाहता था लेकिन इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए अपने परिवार व साथियों सहित 3 दिन तक कर्बला के मैदान में भूखे प्यासे रहकर शहादत दी थी। उन्होंने बताया कि शहादत देने वालों में इमाम हुसैन का 6 महीने का बच्चा अली असगर भी शामिल था। इसमें उन्होंने अपने जवान बेटे अली अकबर को भी शहीद करवा दिया था। मौलाना ने कहा कि अगर देश व समाज से भ्रष्टाचार व बुराइयों को खत्म करना है तो शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। जैसे-जैसे समाज में शिक्षा और इलम बढ़ेगा बुराइयों का खात्मा होता चला जाएगा और देश दिन दौगुनी रात चौगुनी तरक्की करता चला जाएगा। मजलिस के फौरन बाद अंजुमन यादगारे हुसैनी ने अपने नोहों से लोगों की आंखें नम कर दी। इस मौके पर अंजुमन यादगारे हुसैनी के संयोजक रजा अब्बास, शौकत अब्बास, मोहम्मद अली, अली कासिम, शमीम अब्बास, अजीम अब्बास, कमाल अब्बास आदि मौजूद रहे।
