कुंजपुरा में पांच दिवसीय श्री राम कथामृत के कार्यक्रम का भव्य आयोजन  

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इन्द्री (विजय काम्बोज) दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से रामलीला ग्राउंड, कुंजपुरा में पांच दिवसीय श्रीराम कथामृत के कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया है। जिसके द्वितीय दिवस के अंतर्गत श्री गुरु आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी प्रवीणा भारती जी ने सीता स्वयंवर प्रसंग को प्रस्तुत किया। प्रभु श्री राम जी ऋषि विश्वामित्र जी के संग वन प्रांत में जाकर आसुरी शक्तियों का समापन करते हैं। साध्वी जी ने बताया वास्तव में हमारा मन वन का प्रतीक है। ताड़का और सुबाहु मारीच इत्यादि असुर हमारे मन में उठने वाले लोभ, मोह, अहंकार का प्रतीक है। जिस प्रकार से वन प्रांत में प्रभु श्रीराम के प्रकट होने पर आसुरी शक्तियों का अंत हुआ। अंधकार व अज्ञानता समाप्त हुए और शांति के साम्राज्य की स्थापना हुई ठीक वैसे ही हमारे अंतर्गत में जब तबु श्रीराम का प्राकट्य होगा, तब इन विकारों के ऊपर अंकुश लग पाएगा। आवश्यकता है एक सतगुरु के शरणागत होकर अपने अंदर श्रीराम को प्रकट करने की। तदुपरांत प्रभु श्री राम जनकपुर में प्रस्थान करते हैं जहां प्रभु श्री राम भगवान शिव के धनुष को भंग कर मां सीता का वर्णन करते हैं। प्रभु श्री राम व जानकी का विवाह मात्र एक मनोरंजन के लिए नहीं है। मां सीता आत्मा का प्रतीक है तो प्रभु श्रीराम परमात्मा का। विवाह प्रसंग हमें संदेश देता है कि यदि हम अपनी आत्मा रूपी कन्या का भगवान श्री राम रूपी वर के संग विवाह करना चाहते हैं हमें अपने जीवन में एक विचोलिया के रूप में सतगुरु की आवश्यकता है । गुरु के बिना इंसान ईश्वर का दर्शन प्राप्त नहीं कर सकता है । आज बहुत से लोग गुरु को तो अपने जीवन में धारण करते हैं परंतु धर्म ग्रंथों की इस कसौटी के आधार पर नहीं, जो समय का सच्चा संत सतगुरु हुआ करता है वो हमारे घट में ईश्वर का साक्षात्कार करवाता है। हम संत के चेहरे का नूर, उसके पीछे लगे लोगों की भीड़, मधुर वाणी में धर्म ग्रंथों के ज्ञान से एक सतगुरु की पहचान करते हैं। लेकिन हमारे शास्त्र धर्म ग्रंथ कहते हैं फूटी आंख विवेक की सूझे ना संत असंत आज हमारे पास वह विवेक की आंख नहीं है जिससे हम एक सच्चे संत की पहचान कर पाए। और उसके शरणागत होकर ईश्वर अनुभूति का साक्षात्कार कर अपने जीवन को सार्थक कर पाए। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक परम पूजनीय वंदनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी उस सनातन पुरातन ब्रह्म ज्ञान को दे करके ईश्वर दर्शन की अनुभूति करवाने का सामर्थ्य रखते हैं । दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान समस्त प्रभु प्रेमी भक्तों का ईश्वर दर्शन के लिए आवाहन करता है। प्रभु की पावन आरती का सुंदर गायन करते हुए कथा प्रसंग को विराम दिया गया