फसल बर्बादी को लेकर सीएम सिटी की सड़कों पर उतरेंगे किसान : -रतनमान

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किसानों ने सरकार की किसान विरोधी सोच को लेकर जताया जोरदार रोष
चेतावनी : 6 अप्रैल से पहले सरकार नहीं जागी तो होगा जबरदस्त आंदोलन
करनाल|| हरियाणा में बेमौसम की बारिश से खराब हुई किसानों की फसलों को लेकर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने तेवर कड़े कर लिए है। किसान नेताओं ने किसान विरोधी सोच को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान नेताओं का कहना है कि हरियाणा सरकार किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं कर रही है। इससे साफ है कि किसान लूटने-पिटने के लिए मजबूर है। सरकार द्वारा अपनाई गई फसल क्षति पोर्टल सरकार की तिजोरी में बंद है। पोर्टल पद्धति लागू कर किसानों के साथ छलावा होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पोर्टल की अपेक्षा प्रदेश के प्रत्येक गांव में फसल खराबा गिरदावरी के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएं।  इस विरोध में भाकियू ने 6 अप्रैल को सी.एम सिटी करनाल की सड़कों पर उतरकर कड़ा विरोध जताने का निर्णय किया है। यह निर्णय आज अर्जुन नगर स्थित किसान भवन में आयोजित किसान पंचायत में लिया गया। किसान पंचायत में भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान सहित कई बड़े किसान नेताओं ने भाग लिया।
किसान पंचायत की अध्यक्षता करते हुए भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने खुले तौर पर कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं की ओर कतई ध्यान नहीं दे रही है। यही हाल रहा तो किसानों की 6 से 8 महीने की मेहनत मिट्टी में मिल जाएगी। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि राज्य भर में लाखों एकड़ भूमि पर किसानों की गेहूं, सरसों की फसल के अलावा मौसमी सब्जियों की खेती की जा रही थी। पिछले दिनों प्रदेश में हुई बेमौसम की बारिश ने किसानों की फसलों पर कहर ढहा दिया। कटने के लिए तैयार गेहूं और सरसों की फसल की तो बुरी तरह बर्बादी हो गई है। किसान के पास माथे पर हाथ रखकर सिवाय रोने के कोई चारा नहीं बचा है। ऐसे हालात में किसानों को अपना सहारा सरकार नजर आती थी। लेकिन सरकार का कमजोर रवैया किसानों पर कुदरत से भी ज्यादा कहर ढहा रहा है। प्रदेश में चारों और फसल की बुरी तरह से तबाही हो गई है। चारों तरफ किसान और मजदूर वर्ग में हाहाकार मचा हुआ है। किसान को अपनी मेहनत का मेहनताना खोता नजर आ रहा है तो मजदूर के लिए खेत पर करने के लिए सीजन में काम नहीं बचा है। खेतों पर गेहूं ओर सरसों की फसल जहां पुरी तरह से पककर सुनहरी होने के पश्चात कटने वाली थी, वहीं तेज बारिश और ओलावृष्टि के चलते दोनों फसल खेतों में जमीन पर पसर गई है। मौसम की मार लगातार पड़ने के कारण हालात इतने गंभीर है कि फसल अब धरती से ऊपर उठने का नाम नहीं ले रही है। दूसरी और सरकार की ओर से किसान के खेत पर उचित मुआवजा देने के लिए सही कार्रवाई नहीं की जा रही है। किसानों को झांसा देने के नाम पर सरकार ने पोर्टल बनाकर छोड़ दिया है। पोर्टल की अवधि मात्र 3 दिन देकर किसानों पर मानसिक दबाव बढ़ा दिया है। सरकार ने पोर्टल बनाया है तो प्रत्येक किसान के खेत की गिरदावरी का ब्यौरा आने तक पोर्टल लगातार खुला रहना चाहिए। लेकिन सरकार यहां किसानों की आंखों में धूल झोंकने के अलावा कुछ नहीं कर रही है। इससे साफ है कि हमारा किसान ओर मजदूर वर्ग दोनों की सरकार के रवैये से खफा है। सरकार की ज्यादती को किसी भी हाल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसानों का कहना है कि सरकार के पास एक मौका और है, 6 अप्रैल से पूर्व सरकार को किसानों की मांग पर ध्यान करते हुए प्रत्येक गांव में तीन सदस्य कमेटी का गठन कर दिया जाना चाहिए। जो किसान के खेत में मौके पर पहुंचकर गिरदावरी की वास्तविक रिपोर्ट तैयार करेगी। प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से आग्रह करते हुए कहा कि इस कमेटी में गांव का नम्बरदार, संबंधित कृषि विकास अधिकारी और पटवारी को शामिल किया जाएं। अन्यथा हर तरह की रिपोर्ट किसानों के लिए बेईमानी साबित होगी। इस अवसर पर प्रदेश संगठन सचिव श्याम सिंह मान, जिला प्रवक्ता सुरेन्द्र सांगवान, घरौंडा खंड प्रधान धनेतर सिंह राणा, इंद्री खंड प्रधान दिलावर सिंह डबकौली, महिला जिलाध्यक्ष नीलम राणा, किसान नेता बाबू राम डाबरथला, कुलदीप राणा, राम दुरेजा, भरतरी मान, जयपाल शर्मा, वेद सांगवान सहित काफी संख्या में किसान उपस्थित रहे।