
करनाल || उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि किसान फसल के अवशेषों को खेतों में न जलाएं बल्कि आधुनिक कृषि उपकरणों से खेतों में ही उनका प्रबंधन सुनिश्चित करें। फसल अवशेष प्रबंधन से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है तथा पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा कृषि यंत्र किसानों को अनुदान राशि पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे इन योजनाओं का लाभ उठाएं और स्वच्छ पर्यावरण बनाए रखने में अपना सहयोग करें।
उपायुक्त ने फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं का जिक्र करते कहा कि मानव स्वास्थ्य से जुड़े इस मुद्दे को लेकर अब सर्वोच्च न्यायालय, एन.जी.टी. और प्रदूषण नियंत्रण विभाग गम्भीर है और ऐसे मामलों में भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान कर दिया है। अगर कोई फसल अवशेष जलाया पाया जाता है तो वह पर्यावरण के नुकसान की भरपाई देने के लिए उत्तरदायी होगा। उन्होंने बताया कि 2 एकड़ भूमि तक 2500 रुपये प्रति एकड़ घटना, 2 से 5 एकड़ भूमि तक 5 हजार रुपये प्रति घटना, 5 एकड़ से ज्यादा भूमि 15 हजार रुपये प्रति एकड़ घटना का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि खेतों में आग लगाने वाले लोग नासमझी करते हैं, जिससे जमीन की सेहत और पर्यावरण दोनों बिगड़ते हैं, और भी कई तरह के नुकसान हैं। इन सब बातों को देखते सरकार फसल अवशेष प्रबंधन पर करोड़ो रूपये खर्च कर किसानों को ऐसी कृषि मशीनरी के साथ जोड़ रही है, जिसमें ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं और अवशेष मिट्टी में ही मिलकर जमीन में पोटाश और नाइट्रोजन की मात्रा को संतुलित बना देते हैं। बड़ी संख्या में कस्टम हायरिंग सेंटर या कृषि बैंक खोले जा चुके हैं, जहां से कोई भी किसान बहुत ही वाजिब किराए पर इन यंत्रो को लेकर अपने खेतों में प्रयोग कर सकता है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने एक ओर कदम बढ़ाते हुए कृषि विभाग के माध्यम से पंचायतों को हैप्पी सीडर, एमबी प्लो, रोटावेटर और मल्चर जैसे कृषि यंत्र दिए हैं, जहां से कोई भी किसान जरूरत अनुसार पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर अपना टै्रक्टर लाकर नि:शुल्क रूप से खेत में ले जा सकता है। फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़े कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।
