
करनाल विजय कम्बोज
जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों से जिला में सकारात्मक परिणाम सामने आए है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पराली जलाने की घटनाओं में करीब 70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। यह जानकारी देते हुए उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि प्रशासन द्वारा चलाए गए जागरूकता कार्यक्रम से किसानो में सकारात्मक सोच उत्पन्न हुई और पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगी है, इसके लिए उपायुक्त ने किसानों का आभार जताया और कहा कि भविष्य में पराली जलाने की घटनाओं को शुन्य करने में अपना भरपूर सहयोग देंगे।
उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि जिला में वर्ष 2021 खरीफ सीजन के दौरान पराली जलाने की 957 घटनाएं हुई थी, लेकिन वर्ष 2022 के दौरान यह घटकर 301 रह गई थी, जोकि करीब 70 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है, लेकिन आने वाले सीजन के दौरान इसे शून्य करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की जागरूकता के अलावा गांव स्तर पर कमेटी का गठन किया गया था, जिसके काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं, जहां पर भी पराली जलाने की घटना सामने आई वहां पर उस गांव की कमेटी ने संबंधित किसान से संपर्क किया और उसको पराली नहीं जलाने के बारे में जागरूक किया। इस वर्ष भी पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए और प्रभावशाली तरीके से कार्य किया जाएगा। पराली जलाने की घटनाओं में कमी समझदार किसानों के सहयोग से ही संभव हो पाई है।
उन्होंने बताया कि किसानों के साथ-साथ जिला स्तर पर गठित कमेटी, जिसमें कृषि, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं गांव में सरकार के प्रतिनिधियों के तौर पर मौजूद नम्बरदारों का मुख्यत: सहयोग रहा है। उन्होने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर चलाये गये जागरूकता कार्यक्रमों से जागरूक होकर बहुत से किसानों द्वारा पराली में आग न लगाकर न केवल पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया है बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति, मानव स्वास्थ्य पर पडने वाले विपरित प्रभावों व मित्र किटों का भी संरक्षण हुआ है। तथा अपनी आमदनी में भी बढौतरी की है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों द्वारा इन सीटू मैनेजमेंट के तहत धान की पराली का प्रबंधन करने हेतू पंजीकरण किया हुआ है उन्हें सरकार की ओर से 1000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि प्रदान की गई है, इसी प्रकार एक्स-सी मैनेजमेंट के तहत पराली का प्रबन्धन करने वाले किसान जिन्होंने पराली की स्ट्रॉ रीपर से गाठें बनवाई है उन्हें भी एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि प्रदान की गई है। किसानों को www.agriharyana.gov.in पर अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इस स्कीम का लाभ केवल उन्ही किसानों को मिलता है जिन्होने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण करवाया हुआ है।
उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि जिला में वर्ष 2021 खरीफ सीजन के दौरान पराली जलाने की 957 घटनाएं हुई थी, लेकिन वर्ष 2022 के दौरान यह घटकर 301 रह गई थी, जोकि करीब 70 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है, लेकिन आने वाले सीजन के दौरान इसे शून्य करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों की जागरूकता के अलावा गांव स्तर पर कमेटी का गठन किया गया था, जिसके काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं, जहां पर भी पराली जलाने की घटना सामने आई वहां पर उस गांव की कमेटी ने संबंधित किसान से संपर्क किया और उसको पराली नहीं जलाने के बारे में जागरूक किया। इस वर्ष भी पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए और प्रभावशाली तरीके से कार्य किया जाएगा। पराली जलाने की घटनाओं में कमी समझदार किसानों के सहयोग से ही संभव हो पाई है।
उन्होंने बताया कि किसानों के साथ-साथ जिला स्तर पर गठित कमेटी, जिसमें कृषि, पुलिस, राजस्व विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं गांव में सरकार के प्रतिनिधियों के तौर पर मौजूद नम्बरदारों का मुख्यत: सहयोग रहा है। उन्होने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर चलाये गये जागरूकता कार्यक्रमों से जागरूक होकर बहुत से किसानों द्वारा पराली में आग न लगाकर न केवल पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया है बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति, मानव स्वास्थ्य पर पडने वाले विपरित प्रभावों व मित्र किटों का भी संरक्षण हुआ है। तथा अपनी आमदनी में भी बढौतरी की है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों द्वारा इन सीटू मैनेजमेंट के तहत धान की पराली का प्रबंधन करने हेतू पंजीकरण किया हुआ है उन्हें सरकार की ओर से 1000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि प्रदान की गई है, इसी प्रकार एक्स-सी मैनेजमेंट के तहत पराली का प्रबन्धन करने वाले किसान जिन्होंने पराली की स्ट्रॉ रीपर से गाठें बनवाई है उन्हें भी एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि प्रदान की गई है। किसानों को www.agriharyana.gov.in पर अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इस स्कीम का लाभ केवल उन्ही किसानों को मिलता है जिन्होने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण करवाया हुआ है।
