
अनुसंधान निदेशालय एमएचयू द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
करनाल(विजय काम्बोज) महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के अनुसंधान निदेशालय द्वारा पधाना में अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के अंतर्गत मोटे अनाजों के महत्व पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एमएचयू के अनुसंधान निदेशक डॉ.रमेश गोयल ने शिरकत की। कार्यक्रम में पहुंचने पर गांव के सरपंच प्रवीन कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। जागरूकता कार्यक्रम में काफी संख्या में महिलाओं, किसानों ओर युवाओं ने भाग लिया।
निदेशक डॉ. रमेश गोयल ने कहा कि मोटे अनाज का प्रयोग पारंपरिक फसलों पर निर्भरता को काफी कम कर सकता है। खास बात ये भी है कि मोटे अनाज को उगने के लिए बहुत अधिक सिंचाई और पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के लिए 8 मोटे अनाजों को शामिल किया गया है, इनमें बाजरा, रागी, कुटकी, संवा, ज्वार, कंगनी, चेना और कोदो हैं। मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है। मोटे अनाज बढ़ती उम्र वाले बच्चों, ज्यादा शारीरिक मेहनत करने वाले कामगारों तथा बूढ़े लोगों के लिए जरूरी है। मोटे अनाज को पैदा करने के लिए कम मेहनत और कम पानी की जरूरत होती है। इस प्रकार मोटे अनाजों में न केवल पोषक तत्वों का भंडार है बल्कि ये जलवायु लचीलेपन वाली फसलें भी हैं और इनमें अद्भुत पोषण संबंधी विशेषताएँ भी हैं। कहा कि इनसे कुपोषण और भूख की वैश्विक समस्या हल हो सकती हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करें। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी की पोषण जरूरतों को पूरा करने और तेजी से बढ़ रही जीवनशैली से संबंधित बीमारियों मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि के रोकथाम में मोटे अनाजों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से आह्वान किया कि वे अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करें। इस अवसर पर डॉ. सुरेंद्र व डॉ. गौरव ने भी संम्बोधित किया।
