
करनाल || दिल्ली पब्लिक स्कूल करनाल में लैंगिक संवेदनशीलता को लेकर जागरूकता कार्यक्रम के तहत लीगल लिटरेसी कैंप लगाया गया जिसकी अध्यक्षता जसवीर मुख्य दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण करनाल एवं डॉ. सुमन मदान प्रिंसिपल दिल्ली पब्लिक स्कूल करनाल ने की। जसवीर मुख्य दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण करनाल में बच्चों को विस्तार पूर्वक लैंगिक संवेदनशीलता को लेकर बच्चों को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि लैंगिक संवेदनशीलता यानी हर लिंग (चाहे पुरुष हो या महिला) का व्यक्ति दूसरे लिंग (चाहे पुरुष हो या महिला) के प्रति सम्मान का भाव रखे। लिंग भेद को दरकिनार कर एक-दूसरे के प्रति सम्मान के भाव होना ही लैंगिक संवेदनशीलता है। बेटे के जन्म की खुशी के पीछे भावना यह होती है कि वह वंशबेल को आगे बढ़ाएगा इतना ही नहीं बड़ा हो कर, पढ़-लिख कर परिवार का आर्थिक सहारा बनेगा। जबकि बेटी को शुरू से ही पराई अमानत समझा जाता रहा है वह तो एक दिन ससुराल चली जाएगी, तो फिर उस पर इतना खर्च क्यों किया जाए। लड़की को शुरू से ही यह कह कर दबाया जाता रहा है कि तू तो लड़की है, तू घर में बैठ, चूल्हा-चौका कर यही ससुराल में काम आएगा ज्यादा उडऩे की जरूरत नहीं है।
उन्होंने बताया कि भारत में लैंगिक भेदभाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और विशेष रूप से महिलाओं को भेदभाव और असमानता के कई रूपों का सामना करना पड़ता है। भारत में लैंगिक भेदभाव के कुछ विशिष्ट उदाहरणों में शामिल हैं। इस कार्यक्रम के बाद जसवीर, मुख्य दंडाधिकारी एवं सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण करनाल ने बच्चों से वार्तालाप की और उनके मन में उठने वाले प्रश्नों के बारे में पूछा और उसका उत्तर दिया इस कार्यक्रम में लगभग ढाई सौ बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। अंत में सभी बच्चों ने तालियां बजाकर मैडम का धन्यवाद किया।
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