
सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 2024 के चुनाव में लेंगे कड़ा फैसला
इन्द्री(विजय काम्बोज)भारतीय किसान यूनियन ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 20 मार्च को दिल्ली में संसद कूच करने की तैयारियां शुरू कर दी है। सरकार की वादाखिलाफी एमएसपी पर खरीद गारंटी कानून बनाने सहित अन्य मांगों को पूरा कराने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 20 मार्च को दिल्ली में संसद कूच करने का निर्णय लिया गया है। संसद कूच को कामयाब बनाने के लिए किसानों से जनसंपर्क किया जा रहा है। किसान नेता लोगों को सरकार की किसान विरोधी नीतियों से अवगत करा रहे हैं। जगह-जगह किसान 20 मार्च को दिल्ली पहुंचने का भरोसा दिला रहे हैं।
किसानों से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रतनमान, प्रवक्ता सुरेंद्र सांगवान, उत्तरी हरियाणा प्रभारी महताब कादियान, किसान नेता कृष्ण जागलान ने कहा कि किसानों ने मांगों को लेकर करीब सवा साल पहले दिल्ली के बॉर्डर पर 13 महीने तक आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान किसानों को बदनाम करने के प्रयास किए गए, लेकिन किसान एकता के सामने सत्ता में बैठे हुए नेताओं की कूचालें कामयाब नहीं हुई। आखिरकार प्रधानमंत्री ने माफी मांग कर तीन कृषि कानूनों को वापिस लेने का ऐलान कर किसानों की अन्य मांगों को सरकार द्वारा मान लेने का ऐलान भी किया गया था। सरकार की वह घोषणाएं आज तक पूरा नहीं किया गया। न तो एमएसपी कानून बनाए गए और न ही बिजली बिल और पराली जलाने सहित अन्य किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लिया गया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसान हितेषी होने की झूठी एवं नकली बातें कर रही है। जमीनी हकीकत में सरकार के वायदे फ्लॉप साबित हो रहे हैं। किसान नेताओं ने जोर देकर कहा कि किसानों में सरकार की नीतियों को लेकर गहरा आक्रोश है।
भाकियू प्रदेशाध्य रतनमान ने बताया की संयुक्त किसान मोर्चा की कुरुक्षेत्र में गत दिनों हुई बैठक में सरकार की वादाखिलाफी और अन्य मांगों को लेकर 20 मार्च को दिल्ली संसद घेराव करने का निर्णय लिया गया था। इसे सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के सभी घटक जनसंपर्क अभियान में लग गए। जगह-जगह जाकर लोगों को सरकार की किसान एवं आम जन विरोधी नीतियों से अवगत करा कर 20 मार्च को दिल्ली पहुंचने का आवाहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों एवं आम जनता में सरकार की नीतियों के खिलाफ ना केवल आक्रोश है, बल्कि सत्ता में बैठे हुए नेताओं को सबक सिखाने के लिए कठोर निर्णय लेने के लिए दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस बार किसानों की मांगें नहीं मानी तो 2024 के चुनाव में किसान संगठन भी बड़ा एवं कड़ा फैसला ले सकते हैं। सत्ता में बैठे हुए नेताओं ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। किसानों की आय दोगुनी करने के दावे भी हवा हवाई निकले है। किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का प्रधानमंत्री का वायदा तो आज तक भी पूरा नहीं किया गया। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष मान ने जोर देकर कहा कि अब किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेताओं के बहकावे में नहीं आएंगे। अब किसान अपना हक लेकर रहेंगे वरना लोकतंत्र में वोट की ताकत से झूठ बोलने वालों को बड़ा सबक सिखाएंगे।
